चंडीगढ़, 27 मई। ‘सेवा परमो धर्मः‘ की भावना को चरितार्थ करती हरियाणा पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट इन दिनों उन सभी लोगों के लिए गहरे अंधकार में उम्मीद की किरण बन रही है जिन्होंने किसी न किसी कारणवश अपने बच्चों अथवा करीबी को दुनिया की भीड़ में खो दिया है क्योंकि एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के एएसआई राजेश कुमार एवं अन्य कर्तव्य और मानवता धर्म का संयुक्त रूप से पालन करते हुए नियमित तौर पर परिवार से बिछड़े बच्चों को उनसे मिलवाने का नेक कार्य कर रहे हैं।
इसी कड़ी में राजेश कुमार ने 22 साल बाद लापता युवक अमित को उसके परिवार से मिलवाने की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अमित 7 साल की छोटी उम्र में ही अपने परिवार से बिछड़ गया था। अमित की वर्तमान आयु 29 साल है। अमित अपने परिवार से मिलने के लिए पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहा था। आखिरकार उसने राज्य अपराध शाखा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला में कार्यरत एएसआई राजेश कुमार से संपर्क किया और वर्षों बाद अपने परिवार से मिलने में कामयाब हुआ। एएचटीयू की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पुलिस महानिदेशक ने एएसआई राजेश कुमार को बधाई देते हुए उसका मनोबल बढ़ाया।
क्या था मामला
अमित ने राजेश कुमार को बताया कि वह कई वर्षों से अपने परिवार की तलाश कर रहा है अमित ने बताया कि वह 7 वर्ष की आयु में अपने परिवार से बिछड़ गया था लेकिन होश संभालते ही उसने अपने परिवार को ढूंढना शुरू कर दिया। उसने बताया कि वह एक महीना नौकरी करता था और एक महीना अपने परिवार की तलाश में निकल पड़ता था, लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली। अमित वर्ष 2003 में चिल्ड्रन होम अलीपुर दिल्ली में लाया गया था उसकी परवरिश अलग-अलग बाल गृहों में होती रहीं। वर्ष 2019 में अमित को एक चिल्ड्रन होम में ही केयरटेकर का काम मिल गया। एएसआई राजेश कुमार ने अमित की पूरी व्यथा सुनी और आश्वत किया कि वे अमित की पूरी मदद करेंगे।
अमित को केवल इतना याद था कि उसके गांव में कोल्हू चलते थे। इसके अलावा, उसे केवल बाला चौक शब्द की स्मृति थी। केवल इन्ही शब्दों के आधार पर एएसआई राजेश कुमार ने अमित के परिवार की तलाश शुरू की। उन्होंने तकनीक तथा अन्य पहलुओं से जांच पड़ताल करना शुरू किया। काफी दिनों तक प्रयास करने के बाद भी राजेश कुमार को सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने ऐसे स्थानों को सूचीबद्ध किया जहां पर कोल्हू चलते थे और बाला चौक के नाम से प्रचलित स्थानों को भी ढूंढना शुरू किया। बाला चौक बहुत सारे जिलों में मिला, लेकिन फिर भी सफलता प्राप्त नहीं मिली। इसके बाद, उन्हें बलाचौर नामक एक स्थान मिला जहां पर गांव के लोगों से उन्होंने पूछताछ की। राजेश कुमार ने गांव में फोटो को वायरल किया तभी उस क्षेत्र के एक व्यक्ति ने बताया कि यह लड़का उनके गांव का है। इसकी माता का नाम नीता है और यह लड़का 22 साल पहले गुम हुआ था। इस बच्चे को पिता बदरपुर सहारनपुर में अपने साथ ले गया था जहां से यह लापता हो गया था।
इसके बाद अमित को अपने परिजनों से मिलवाने के लिए राजेश कुमार उनके गांव पहुंचे। इतने सालों के बाद अमित को अपने बीच पाकर उनकी मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने अपने बेटे को गले से लगाया। खुशी से उनकी आंखों से आंसू नहीं रूक रहे थे। इसके अलावा, परिवार के अन्य सदस्य भी अमित को अपने बीच पाकर बहुत खुश थे और बार-बार उसे अपने गले लगाते हुए दिखाई दिए। परिवार के सदस्यों ने हरियाणा पुलिस के इस बहादुर एएसआई राजेश कुमार का कोटि-कोटि धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि राजेश कुमार भगवान बनकर उनकी जिंदगी में आए हैं जिन्होंने 22 साल बाद उनके बेटे से उन्हें मिलवाया है। राजेश कुमार अब तक 800 से अधिक बिछड़े बच्चों को उनके परिवार से मिलवा चुके हैं। राजेश कुमार का कहना है कि उनके लिए यह कार्य मात्र नौकरी करना ही नहीं है बल्कि उन्होंने इसे अपने जीवन का लक्ष्य बनाया है। राजेश कुमार समाज सेवा से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। राजेश कुमार का मानना है कि बिछड़े हुए बच्चों को उनके परिवार से मिलवाना एक बहुत ही नेक काम है और उन्हें ऐसा करने पर आत्मिक शांति मिलती है।