अखिलेश को ये नाराज़गी वक़्त रहते समझने की ज़रूरत

यह एक कड़वा सच है कि मुस्लिम समाज को जितना मायूस मुस्लिम नेताओं ने किया है उतना ही मायूस मुस्लिम नेताओं को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने वक्त वक्त पर करने का काम किया है. यह भी हकीकत है कि जब तक यह मुस्लिम नेता कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में रहते हैं तब तक उनको कोई शिकायत शायद ही रहती हो लेकिन जैसे ही वह पार्टी छोड़ते हैं या पार्टी छोड़ने का इरादा करते हैं तब उनको मुसलमानों की बदहाली नजर आने लगती है और वह अपनी पार्टी सुप्रीमो पर मुसलमानों को नजरअंदाज करने के आरोप लगाने लगते हैं. ऐसा ही समाजवादी पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले सलीम शेरवानी के मामले में देखा जा सकता है. शेरवानी ने इस्तीफा देने के बाद मीडिया से बातचीत में अखिलेश यादव पर बड़े आरोप लगाते हुए कहा कि मुसलमानों के साथ कई बड़े मामले पेश आए लेकिन अखिलेश यादव ने मुसलमानों के लिए कोई आवाज नहीं उठाई यहां तक कि समाजवादी पार्टी का वोट बैंक होने के बावजूद भी मुस्लिम समाज से किसी को राज्यसभा नहीं भेजा जा रहा है. वैसे हो सकता है कि सलीम शेरवानी साहब खुद राज्यसभा जाने के ख्वाहिशमंद हों और जब उनको वहां जाने का मौका नहीं दिया गया तो उन्होंने समाजवादी पार्टी के महासचिव पद को छोड़ना ही बेहतर समझा और अब वह अपने लिए नई राजनीतिक राह तलाश करने में जुट गए हैं और माना जा रहा है कि वह कांग्रेस या बहुजन समाज पार्टी में से किसी एक पार्टी का दामन जल्दी ही थाम लेंगे.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव पर मुसलमानों को नजरअंदाज करने के आरोप सलीम शेरवानी द्वारा ही नहीं लगाए गए हैं बल्कि यह बात सभी जानते हैं कि आजम खान के मामले को लेकर भी अखिलेश यादव का रवैया काफी उदासीनता भरा रहा है. आजम खान के मामले में अखिलेश यादव पर समाजवादी पार्टी के ही कई नेताओं ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव को जिस तरह से आजम खान के मामले में दिलचस्पी लेनी चाहिए थी अफ़सोस अखिलेश यादव ऐसा नहीं कर सके और इसी वजह से समाजवादी पार्टी के कई नेता और काफी कार्यकर्ता जो आजम खान के समर्थक माने जाते रहे उन्होंने समाजवादी पार्टी को अलविदा तक कह दिया यह अलग बात है कि आजम खान ने कभी अखिलेश यादव के प्रति खुलकर नाराजगी का इजहार नहीं किया मगर अपने शायराना अंदाज में वह कई बार ऐसी बातें बोल गए कि जिससे साफ नजर आया कि अखिलेश यादव को लेकर उनके मन में बेहद नाराजगी है. आजम खान तो समाजवादी पार्टी में ही हैं और उनका परिवार भी समाजवादी पार्टी में है लेकिन सलीम शेरवानी ने तो सपा के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. इसी साल लोकसभा चुनाव होने हैं अगर इसी तरह से समाजवादी पार्टी के अंदरूनी हालात चलते रहे तो फिर लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को काफी नुकसान काफी सीटों पर उठाना पड़ सकता है क्योंकि मुस्लिम समाज समाजवादी पार्टी का वोट बैंक है और यदि वोट बैंक ही नाराज हो जाएगा तो ऐसे में समाजवादी पार्टी का नुकसान होना तय है.समाजवादी पार्टी के वोट बैंक में जहां बहुजन समाज पार्टी सेंध लगाने के लिए तैयार बैठी है तो वहीं एमआईएम जैसी पार्टी जिसके नेता ओवैसी हैं जो मुस्लिम राजनीति करने के लिए जाने और पहचाने जाते हैं वह भी सपा के वोट बैंक में सेंध लगाने के प्रयास में हैं. ऐसे में सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को काफी कुछ सोचने और समझने और कदम उठाने की जरूरत है.

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