(शिब्ली रामपुरी)
आज के वक्त में क्या कोई इस हकीकत से इंकार कर सकता है कि जिस तरह से मीडिया का दायरा बढ़ा है इसी तरह से मीडिया के प्रति लोगों में शिकायतें भी बढ़ी हैं. पहले सिर्फ चंद अखबार ही लोगों के लिए खबरें जानने का एक माध्यम हुआ करते थे लेकिन अब अखबार से शुरू हुआ यह सफर लोगों की जेब तक आ पहुंचा है उनकी जेब में मोबाइल फोन है और उस पर देश और दुनिया की खबरें वह पल-पल में देख सकते हैं और सुन सकते हैं तो यह मीडिया का बढ़ता हुआ दायरा है जो एक काबिले तारीफ बात है वहीं मीडिया से कितनी शिकायतें आज लोगों को हैं यह भी आईने की तरह साफ है.
जो नेता या जो राजनीतिक पार्टियां आज सत्ता में नहीं हैं उनकी शिकायते मीडिया से किस तरह है यह आप सभी जानते हैं.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर कांग्रेस के सांसद और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी तक अक्सर मीडिया से अपनी शिकायतों का इजहार करते रहते हैं. यह नेता खुले तौर पर या इशारों इशारों में कई बार यह कह जाते हैं कि मीडिया सत्ता में बैठे लोगों की आवाज तो बुलंद करता है उनकी आवाज उनकी खबरें जनता तक पहुंचाता है लेकिन हमें नजरअंदाज कर देता है. इन नेताओं की यह बात कितनी सही है यह तो मीडिया ही जानता है लेकिन इनके अलावा भी बहुत लोग ऐसे हैं कि जिनकी मीडिया के प्रति बहुत शिकायत है और वह कहते हैं कि मीडिया में अधिकतर लोग आज अपना काम पूरी जिम्मेदारी से नहीं कर पा रहे हैं.
जब टीवी चैनलों पर डिबेट का सिलसिला शुरू हुआ था तो यह लगने लगा था कि अब बड़े-बड़े ऐसे मुद्दों पर ऐसी समस्याओं पर बात होगी कि जो जनता से जुड़ी हुई समस्याएं हैं लेकिन बाद में यह डिबेट कहां से शुरू होकर कहां पहुंच गई इसके बारे में ज्यादा लिखने की जरूरत नहीं है क्योंकि कई डिबेट में गाली गलौज से लेकर हाथापाई तक के दृश्य देखने को मिले हैं.
देश की अदालतों द्वारा भी अक्सर कई बार नसीहत मीडिया को की गई है जो यह साबित करने के लिए काफी है कि मीडिया में आज बहुत सुधार की जरूरत है और इस सुधार की शुरुआत मीडिया को ख़ुद ही करनी होगी. पत्रकारिता कोई मामूली कार्य नहीं है बल्कि यह एक ऐसा पवित्र कार्य है कि जिसे सही तरीके पूरी ईमानदारी और पूरी जिम्मेदारी से किया जाए तो ये जनता की आवाज बुलंद करने का एक सशक्त माध्यम है. पत्रकारिता की तारीफ करते हुए और इसकी ताकत को बयां करते हुए कभी मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने कहा था
खींचो ना कमानों को ना तलवार निकालो
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो