- पुलिस शहीदी दिवस के अवसर पर पंचकूला की पुलिस लाइन में आयोजित किया गया था कार्यक्रम
- कहा- आज का दिन पुलिस के वीर सपूतो के अदम्य साहस और कर्त्तव्य परायणता को समर्पित
चंडीगढ़, 21 अक्टूबर – हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शत्रुजीत कपूर ने आज पंचकूला की पुलिस लाइन में पुलिस शहीदी दिवस के अवसर पर ‘पुलिस शहीद स्मारक‘ पर पुष्प चक्र अर्पित कर भारतीय पुलिस बल के 188 अमर शहीदों के बलिदानों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
देश के पुलिस सेवा के सभी बलिदानियों को याद करते हुए डीजीपी श्री शत्रुजीत कपूर ने कहा कि आज हम भारतीय पुलिस सेवा के वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित हुए हैं जिन्होंने देश की कानून-व्यवस्था को कायम रखने, देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने तथा नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। आज का दिन हरियाणा पुलिस और भारतीय पुलिस सेवा के उन वीर सपूतों के अदम्य साहस और कर्तव्य-परायणता को समर्पित है जिसके चलते हर नागरिक स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा राज्य के गठन से लेकर अब तक 83 पुलिसकर्मियों ने राज्य और इसके नागरिकों की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए हैं। श्री कपूर ने बताया कि पुलिस बलों पर देश की सीमाओं की सुरक्षा करने के साथ - साथ देश के आन्तरिक सुरक्षा का दायित्व होता है ताकि देश के भीतर और सीमाओं पर शान्ति कायम रहें। इस संवेदनशील कार्य में सेना के साथ - साथ सभी राज्यों की पुलिस और दूसरे अर्द्धसैनिक बलों की जिम्मेवारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
श्री कपूर ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व व गृह मंत्री अनिल विज के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार द्वारा जहां कर्तव्य परायणता के दौरान प्राणों का बलिदान देने वाले पुलिसकर्मियों व उनके आश्रितों के कल्याण हेतु अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, पुलिस अधिकारी अथवा कर्मचारी के शहीद होने पर आश्रित परिवार को नौकरी की के अलावा पेंशन तथा एक करोड़ 30 लाख रुपए की राशि उपलब्ध करवाई जाती है। इसके अतिरिक्त, पुलिस विभाग में अनुबंधित आधार पर कार्यरत कर्मचारी की दुर्घटना मृत्यु होने पर आश्रित परिवार को 50 लाख रूपये प्रदान किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस में कोई दो राय नहीं है कि पुलिस बल के जवानों का जीवन अपेक्षाकृत अधिक जोखिमपूर्ण होता है और उन्हें रोजाना नई चुनौतियो का सामना करना पड़ता है। आजादी के बाद देश के जवानों ने कई युद्ध लड़े। इन युद्धों में कई सुरक्षा बलों तथा फौज के जवान शहीद हुए लेकिन देश में शहीद हुए पुलिसकर्मियों की संख्या इन जवानो से कहीं अधिक है। 21 अक्टूबर 1959 से लेकर अब तक देश के 36 हज़ार 214 पुलिसकर्मियों ने कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन्होंने आंकड़े साझा करते हुए बताया कि 90 के दशक में शहीद पुलिस कर्मियों की संख्या एक हज़ार से अधिक थी । इसी प्रकार, वर्ष-2015 में यह संख्या 701 थी जो अब वर्ष-2023 में घटकर 188 तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि पुलिस अपना काम बेहतर तरीके से कर रही है।
इन मौके पर डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में देशभक्ति गीत ‘उनको है प्रणाम’ प्रस्तुत किया गया जिसे उपस्थित दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया गया।
क्यों मनाया जाता है पुलिस शहीदी दिवस
गौरतलब है कि 21 अक्तूबर 1959 को भारत-तिब्बत सीमा पर लद्दाख के क्षेत्र में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के दस जवान सीमा पर गश्त करते समय चीनी सैनिकों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले का शिकार हुए थे। तभी से 21 अक्तूबर को पुलिस शहीदी दिवस के रूप में मनाने की परम्परा आरम्भ हुई थी। तब से आज तक देश में लगभग 36214 पुलिस कर्मियों ने कर्त्तव्य की वेदी पर सर्वाेच्च बलिदान दिया है। इन वीर सपूतों की कर्मभूमि कश्मीर की पहाड़ियों से लेकर नागालैंड और मणिपुर के घने जंगलों तक व चम्बल के बीहड़ों से लेकर कच्छ के रण तक रही है। इन्होंने हर समय आतंकवादियों, उग्रवादियों, अपराधियों व असमाजिक तत्वों से निपटते हुए भारत के जनमानस और भारत माता की सेवा की है। इनमें केन्द्र पुलिस संगठन के तहत कार्यरत बल जैसे भारत तिब्बत सीमा बल, सीआरपीएफ , सीआईएसएफ तथा बीएसएफ के जवान भी शामिल हैं।
कार्यक्रम में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (लॉ एंड ऑर्डर) श्री ममता सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक(साइबर) ओ पी सिंह, आईजी एवं पुलिस आयुक्त पंचकूला सिबास कविराज, पंचकूला के उपायुक्त सुशील सारवान सहित कई अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।