रिपोर्ट नफीस उर रहमान
लखनऊ। मुख्यमंत्री एक विजन ही दे सकता है, उसको धरातल पर उतारना नौकरशाही खासकर जिलाधिकारियों का काम होता है। अगर अधिकारियों ने विजन को रियलिटी में बदला तो परिणाम बेहतर मिलता है। यह बातें शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव और अर्थशास्त्री आलोक रंजन ने कही। वे हजरतगंज स्थित बलरामपुर गार्डन में चल रहे पुस्तक मेला में अपनी पुस्तक विमोचन के मौके पर सवालों के जवाब दे रहे थे। इस दौरान आलोक रंजन की पुस्तक ‘द कलेक्टर टुडे’ और इसका हिंदी अनुवाद ‘जिलाधिकारी, जिला प्रशासन की चुनौतियां’ का विमोचन किया। विमोचन लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरविंद मोहन, आईएएस हीरा लाल, डा0 ए0पी0जे0 अक्दुल कलाम ट्रस्ट्र के चैयरमैन अब्दुल नसीर नासिर ने किया।
इस अवसर पर स्मॉल इंडस्ट्री एंड मैन्युफैक्चर एसोसिएशन (सीमा) के अध्यक्ष शैलेंद्र श्रीवास्तव, मंजरी निगम, पवन तिवारी, राजीव कक्कड़, सीमा की महिला विंग अध्यक्ष प्रो. सिंधुजा मिश्रा व रुपाली आदि भी मौजूद रहे। आलोक रंजन ने अपनी सेवा के दिनों को याद करते हुए कहा कि मैंने बेहतर से बेहतर सेवा देने का प्रयास किया है। एक घंटा मैंने पब्लिक के लिए रखा और इससे शासन का फीडबैक भी मिला। जनता की समस्याओं को बिना सुने आप विकास का मॉडल खड़ा नहीं कर सकते। यही कारण है कि मैंने अपने दो साल के मुख्य सचिव के कार्यकाल में आगरा एक्सप्रेसवे, डायल 112 और शहरों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने में सफलता हासिल की। अलोक रंजन ने कहा कि एक जिलाधिकारी को किसी भी जिले के विकास के लिए अध्ययन करना बेहद जरुरी है। शासन की योजनाओं को जिलों में लागू करने के लिए अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता होती है। सबको साथ लेकर चलने की जरुरत है।
आलोक रंजन ने अपनी किताब में अपनी नौकरी के दिनों के अनुभवों को साझा किया है। पांच जिलों गाजीपुर, बांदा, गाजियाबाद, प्रयागराज और आगरा में जिलाधिकारी रह चुका हूं। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियांे को पब्लिक के लिए कुछ करना ही होगा। गरीब असहायों के लिए जिलाधिकारी को खड़ा होना पड़ेगा और इसी से बदलाव की शुरुआत होती है। छोटे छोटे लोगों की जिंदगी को चुनने का मौका मिलता है, इसका सही उपयोग करने से जीवन भर का संतोष मिल जाता है। नेतृत्व की क्वालिटी क्या होनी चाहिए, यह सब मैंने इस किताब में शामिल किया है।
इस मौके पर अब्दुल नसीर नासिर ने पूर्व मुख्य सचिव के काम करने के तरीकों पर रोशनी डालते हुए इस किताब को वक्त जरूरत बताया। श्री नासिर ने आम जन से इस किताब को पढ़ने की अपील की। आखिर मे श्री नासिर ने विमोचन समारोह में आए हुए तमाम मेहमानों , पाठकों और दर्शकों का शुक्रिया अदा किया।