सरकारी नौकरी दिलाने वाले अंतर्राज्यीय रैकेट का खुलासा, क्राइम ब्रांच ने पहुंचाए सलाखों के पीछे

अपॉइंटमेंट लेटर, ट्रेनिंग, मेडिकल, सब झूठ …. भारत सरकार के विभागों से लेकर आर्मी में लगवाने का था वादा

  • पीड़ितों से ठगे थे 16.50 लाख, एसआईटी ने पहुंचाए 5 आरोपी सलाखों के पीछे.
  • 2 ठग उत्तर प्रदेश से, 2 दिल्ली से और 1 हरियाणा से

रिपोर्ट नफीस उर रहमान
चण्डीगढ़ 3 जून –
सरकारी नौकरी पाना हर एक युवा का सपना होता है . इसके लिए फॉर्म भरना पड़ता है, फिर परीक्षा देनी पड़ती है, फिर इंटरव्यू, मेडिकल व ट्रेनिंग के बाद एक सरकारी बाबू बनने का सपना पूरा होता है. और युवाओं के इसी सपने का फायदा ठग उठाते है . पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे ही एक अंतर्राज्यीय रैकेट का भंडाफोड़ स्टेट क्राइम ब्रांच, हरियाणा ने किया है . मामला भारत सरकार के विभिन्न विभागों, फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया से लेकर आर्मी, आईटीबीपी, बीएसएफ, यूपी पीडब्लूडी आदि विभागों में नौकरी दिलवाने का था, इसीलिए केस की संजीदगी को समझते हुए स्टेट क्राइम ब्रांच, चीफ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने पुलिस अधीक्षक सुरेश कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन कर त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए . जांच में खुलासा हुआ कि ठग दिल्ली व उत्तर प्रदेश के है व मामला कई राज्यों से जुड़ा हुआ था, इसीलिए एसआईटी ने सबूतों पर काम करते हुए 5 महीने में ही केस का खुलासा कर 5 आरोपियों को 4 लाख रूपए, मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर, पेन ड्राइव के साथ गिरफ्तार किया.

अपॉइंटमेंट लेटर दिया , मेडिकल करवाया, प्राइवेट डिपो पर ट्रेनिंग, एफसीआई में गोदाम अटेंडेंट लगवाने के नाम पर ठगी
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला पुलिस को भिवानी निवासी रविंद्र, विक्रम व प्रदीप ने शिकायत दी थी कि सभी ने एफसीआई में गोदाम अटेंडेंट के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था, जिसमें नौकरी दिलवाने के नाम पर सिक्योरिटी की राशि की मांग की गई थी . आरोपियों ने शिकायतकर्ताओं से प्रति व्यक्ति साढ़े 5 लाख रूपए लिए थे जो की कुल मिलाकर साढ़े 16 लाख बनती है . शिकायत में बताया गया कि पीड़ितों को अपॉइंटमेंट लेटर दिए गए और उसके बाद फ़िरोज़पुर, पंजाब में ट्रेनिंग करवाई गई . वहीँ पर पीड़ितों के कागज़ात जमा करवाए गए और पहचान पत्र भी जारी किये गए. पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी से 3 महीने ट्रेनिंग के नाम पर काम करवाया गया और जल्दी ही पोस्टिंग देने का वादा किया गया. इस दौरान शिकायतकर्ताओं को किसी भी प्रकार की सैलरी नहीं दी गई. जब कई दिन तक कहीं पोस्टिंग नहीं की गई और ना ही सैलरी मिली तो ठगी का एहसास हुआ और उन्होंने जिला पुलिस को शिकायत दी. जिला पुलिस अधीक्षक के आदेशों पर एफआईआर भी दर्ज की गई.

केस की ज़िम्मेदारी मिली थी स्टेट क्राइम ब्रांच को, एडीजीपी क्राइम ने की एसआईटी गठित
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि केस में भारत सरकार के विभाग में झूठे अपॉइंटमेंट लेटर, मेडिकल, ट्रेनिंग के नाम पर ठगी हुई थी. केस संजीदा था, तो इसकी ज़िम्मेदारी फरवरी 2023 में स्टेट क्राइम ब्रांच को दी गई. केस पर आगामी कार्रवाई करने के लिए एडीजीपी क्राइम ओ पी सिंह, आईपीएस ने पुलिस अधीक्षक सुरेश कुमार की अध्यक्षता में गठित की. टीम में पुलिस अधीक्षक के अलावा इंस्पेक्टर शेखर सिंह, एसआई वीर सिंह, एएसआई मनेन्दर सिंह, प्रदीप , विनोद व साइबर विशेषज्ञ अंकुश आदि शामिल रहे . सरकारी विभागों के फ़र्ज़ी अपॉइंटमेंट लेटर, ट्रेनिंग, आईकार्ड जारी करने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह में शामिल आरोपियों को टीम ने सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया.
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्य साज़िशकर्ता दीपक राठी निवासी मुज़फ़्फरनगर, यूपी व विष्णु चौहान निवासी कटेसरा, रोहतक, हरियाणा को गिरफ्तार किया. पुलिस ने दीपक राठी के पास से एक फ़ोन, 1.90 लाख रूपए बरामद किये .वहीँ एसआईटी ने तीसरे आरोपी राहुल निवासी सीतापुर, उत्तर प्रदेश को नॉएडा से गिरफ्तार किया. आरोपी राहुल का मुख्य काम ब्रोकर की तरह डील करना और फ़र्ज़ी दस्तावेज़ तैयार करना था. आरोपी राहुल से दो मोबाइल फ़ोन और 22 हज़ार रूपए बरामद किये गए. इसके अलावा, चौथे आरोपी विमल कुमार निवासी नयी दिल्ली को दो मोबाइल फ़ोन और 1.88 लाख रूपए के साथ गिरफ्तार किया गया . अंतिम आरोपी मोहम्मद शोएब निवासी शास्त्री नगर, दिल्ली को गिरफ्तार किया गया. पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी दी कि आरोपी शोएब एक साइबर कैफ़े का संचालक है, जहाँ से सीपीयू, कलर प्रिंटर, सरकारी विभागों का डेटा और सीसीटीवी को ज़ब्त किया है. एसआईटी ने ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने साइबर कैफ़े पर रेड की और आरोपी को गिरफ्तार किया.

आरोपियों के खातों में हुई है बड़ी रकम की ट्रांसैक्शन, कई राज्यों में फैला है ठगी का नेटवर्क
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपियों ने इससे पहले भी कई राज्यों में सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी को अंजाम दिया है. पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान आरोपियों के अलग अलग खातों में बड़ी बड़ी रकम कि ट्रांसैक्शन के बारे में जानकारी मिली है. इसके अलावा आरोपी विष्णु के खिलाफ एक मुकदमा करनाल में भी दर्ज है. आगे जानकारी दी गई कि रिमांड के दौरान आरोपियों ने बताया कि बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर उन्होंने ठगी को अंजाम दिया है. आरोपियों से मिले पेन ड्राइव और कंप्यूटर में भारत सरकार के फ़र्ज़ी स्टाम्प, लेटर पेड, फ़र्ज़ी सिग्नेचर प्राप्त हुए जिसकी सहायता से आरोपी पीड़ितों को विश्वास में लाते थे कि उनकी नौकरी सच में लग गई है. इसके अलावा आरोपियों के पास फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया की सरकारी वेबसाइट से मिलते जुलते वेबसाइट का लिंक और ईमेल आईडी भी मिला है जहाँ से फ़र्ज़ी अपॉइंटमेंट लेटर, पीड़ितों को भेजा जाता है. आरोपी भारत सरकार के इनकम टैक्स विभाग, एफसीआई, मिलिट्री विभाग, सीआरपीएफ, आरपीएफ, रेलवे, सीआईएसएफ, क्लर्क, बैंक, और यूपी पीडब्लूडी में नौकरी लगवाने का लालच देते थे.

नौकरी के लिए किसी को रूपए ना दें, ईमानदारी से करें तैयारी : ओ पी सिंह, एडीजीपी क्राइम ब्रांच
एडीजीपी क्राइम ब्रांच, ओ पी सिंह आईपीएस ने बताया कि किसी लालच में ना आएं. सफलता की सीढ़ी मेहनत के रास्ते होकर जाती है. कोई भी आपको सरकारी नौकरी का प्रलोभन देता है की मेरे जानकार है और इतने रूपए में सरकारी नौकरी लगवा दूंगा, तो तुरंत सतर्क हो जाएं और पुलिस को बताएं. प्रदेश सरकार ऐसे मामलों में बहुत सख्ती बरत रही है. रेलवे, सेना से लेकर बैंक तक ही नहीं एअरलाइंस और बड़ी कंपनियों में नौकरी के लिए वो युवा युवाओं को टारगेट करते हैं. जब पैसे मिल जाते हैं तो सब बदल जाता है, आप ठगे जा चुके होते हैं. सरकारी या गैर-सरकारी विभाग से संबंधित जॉब नोटिस ,अधिकृत वेबसाइट पर ही देखें. नौकरी के लिए आवेदन भी अधिकृत वेबसाइट पर जाकर ही करें. ऑफर लेटर अन ऑफिशियल ईमेल आईडी से आये है तो सतर्क हो जाएं. सभी सकरी नौकरियों की प्रक्रिया पारदर्शी है और ऑनलाइन है. ऑफिसियल वेबसाइट पर सभी सूचनाएं उपलब्ध होती है.

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