शिब्ली रामपुरी)
वैसे तो समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपने जीवित रहते ही अपनी राजनीतिक विरासत को अपने पुत्र अखिलेश यादव के हवाले कर गए लेकिन आने वाले समय में क्या अखिलेश यादव पार्टी के अंदर मुलायम सिंह जैसा जादू पैदा कर सकेंगे इस पर सभी की निगाहें बनी रहेगी.
युँ तो अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के एक बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं और पार्टी के काफी समय से अध्यक्ष होने के बावजूद भी इस कड़वी सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता है कि समाजवादी पार्टी में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो यह कहते रहे हैं कि अब समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव वाली नहीं रह गई है. ख़ुद अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव की ओर से भी ऐसा कहा जाता रहा है यह नई सपा है.
मुलायम सिंह यादव की अंतिम यात्रा में जिस तरह से जन सैलाब उमड़ा उसने यह साबित कर दिया कि मुलायम सिंह की लोकप्रियता कितनी थी. मुलायम सिंह यादव के एमवाई समीकरण को कितनी मजबूती के साथ अखिलेश यादव आगे बढ़ा पाते हैं इस बारे में अभी कुछ भी कहना सिर्फ जल्दबाजी ही होगी.
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने पार्टी को जमीन से लेकर आसमान तक पहुंचाने में कितनी मेहनत की यह सभी जानते हैं और इसमें मुलायम सिंह यादव अकेले नहीं बल्कि उनके कई ऐसे साथी उनके साथ रहे कि जिनका मुलायम सिंह यादव तमाम उम्र तक सम्मान करते रहे.
मुलायम सिंह यादव के जाने के बाद अब अखिलेश यादव के लिए जहां यादव परिवार को एकजुट रखना किसी तरह की चुनौती से कम नहीं होगा क्योंकि सियासी तौर पर यादव परिवार में भी समय-समय पर तलखियां सामने आती रही हैं तो वहीं पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी अखिलेश यादव को एकजुट रखने के लिए काफी प्रयास करने की जरूरत पेश आएगी.