इस दिवाली हरियाणा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दिया नेत्रहीन माँ को तोहफा , मिलवाया १० साल से लापता बेटे से
२०१३ में यमुनानगर से हुआ था लापता

चंडीगढ़ १८ अक्टूबर- स्टेट क्राइम ब्रांच, हरियाणा ने रोशनी के पर्व दिवाली पर एक नेत्रहीन माँ को उसके १० साल से लापता बेटे से मिलवा कर ज़िन्दगी में एक नया उजाला ला दिया है।

जानकारी देते हुआ पुलिस प्रवक्ता ने बताया की १९ वर्षीय आकाश यमुनानगर से २०१३ से गुमशुदा हुआ था। उक्त केस, गुमशुदगी नंबर १०३ दिनांक.१२.५.२०१३ धारा ३६५ आईपीसी पुलिस स्टेशन सदर यमुनानगर में दर्ज है। मुकदमें के मानवीय पहलू को समझते हुए स्टेट क्राइम ब्रांच चीफ, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह, आईपीएस ने केस की ज़िम्मेदारी पंचकूला एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में तैनात एएसआई राजेश कुमार को सौंपी। इसके अलावा केस को प्राथमिकता से काम करने के आदेश दिए गए।

माँ ने कहा था की देख नहीं सकती, बेटे को महसूस करना चाहती हूँ, स्टेट क्राइम ब्रांच ने किया सपना पूरा
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की उक्त मुकदमे की फाइल की फाइल पर काम करते हुए एएसआई राजेश कुमार ने गुमशुदा आकाश के बारे में बारीक से बारीक जानकारी प्राप्त की। नेत्रहीन माँ ने बताया की मैं देख नहीं सकती हूँ पर अपने बच्चे को महसूस कर सकती हूँ। बेटे के पिता का भी उसके इंतज़ार में देहांत हो गया था। मैं नहीं मानती की मेरे बेटे को अब कोई ढूंढ सकता है। स्टेट क्राइम ब्रांच ने दिन रात एक कर मात्र १ महीने में ही १० साल से गुमशुदा बेटे को लखनऊ से ढूंढ निकाला।

कमर पर था चोट का निशान, पोस्टर लगाकर लखनऊ में ढूंढा, नाम बदल कर रह रहा था
जानकारी देते हुए पुलिस प्रवक्ता ने बताया की गुमशुदा लड़के की माँ से बातचीत के दौरान पता चला की उसकी कमर पर नीचे एक चोट का निशान है और थोड़ा मानसिक परेशान भी है। इसी आधार पर उसे पहचाना जा सकता है। इसी क्लू पर पुलिस ने काम करना शुरू किया। एएसआई राजेश कुमार ने बच्चे के पुराने फोटो के आधार पर पोस्टर तैयार कर मुख्य रेलवे स्टेशन जैसे दिल्ली, जयपुर, कोलकाता , मुंबई, कानपुर, शिमला, लखनऊ पर लगवाए गए। इसी दौरान लखनऊ के बाल देख रेख संगठन के अधीक्षक अनिल द्वारा राजेश कुमार से सम्पर्क साधा गया जिसमें बताया गया की इस हुलिए और निशान का लड़का हमारे यहां पर रह रहा है और यह बच्चा हमारे पास देवरिया से आया है। इस लड़के को गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए चाइल्डलाइन ने रेस्क्यू किया था लेकिन ये लड़का नाम मनीष बताता है। इसके अलावा अधीक्षक ने बताया की ये लड़का अपने पिता का नाम नाथीराम बताता है और इसे नहीं पता ये कहाँ का रहने वाला है। इसी आधार पर राजेश कुमार द्वारा फोटो के निशान से लड़के की कमर पर बने निशान का मिलान किया गया जो की एक जैसे ही पाए गए। इसके अलावा लड़के ने बताया था कि उसकी माँ देख नहीं सकती थी, बस इतना ही याद है। इन बातों से पुष्टि होने के बाद परिवार में गुमशुदा लड़के की माँ और उसके भाई विकास को लेकर उपरोक्त चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूट में पहुंचे जहाँ बच्चे ने अच्छी से अपने परिवार को पहचाना। सभी कार्यवाही के बाद सीडब्ल्यूसी लखनऊ के आदेश से १९ वर्षीया गुमशुदा आकाश उर्फ मनीष को परिवार के सुपुर्द किया गया।

अतिरिक्त महानिदेशक, क्राइम ने दिए थे दोबारा फाइल खोलने के आदेश, २०१५ में हो गयी थी बंद
गुमशुदा लड़के के पिता नाथीराम वासी बाडी माजरा यमुनानगर ने ०१.०५.२०१३ को थाने में शिकायत दी थी कि उसका १० साल का बेटा घर से बिना बताए कहीं चला गया। मेरे बेटे का नाम आकाश है। मैंने उसे अपने स्तर खूब ढूंढा लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। पीड़ित की दरख्वास्त पर शिकायत नंबर.१०३. दिनांक१२.५.२०१३. धारा ३६५ आईपीसी थाना सदर यमुनानगर दर्ज करवाई गई। जिला पुलिस ने अपने तौर पर बच्चे को बहुत तलाश किया पर तलाश नहीं कर पाने के कारण इस केस में अनट्रेस रिपोर्ट २०१३ के अंत में लिख दी गई जिसके कारण फाइल को बंद कर दिया गया। इसी दौरान गुमशुदा के पिता का भी देहांत हो गया। परिवार के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए अतिरिक्त महानिदेशक, क्राइम ने इस फाइल पर दोबारा काम करने के आदेश दिए गए। जिस पर पुरे केस को शुरू से समझते हुए, स्टेट क्राइम ब्रांच ने बच्चे को १० साल बाद ढूंढ निकाला।

सितंबर माह में स्टेट क्राइम ब्रांच ने ढूंढे है ५७ नाबालिग बच्चे, ८३ बाल भिखारी किये रेस्क्यू
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने सितंबर माह में ही ५७ बच्चे बचाने में सफलता हासिल की है जिनमें ३३ नाबालिग लड़के व २४ नाबालिग लड़कियां थी। इसके अलावा करीबन इसी माह में २२ पुरुष व ३२ महिलाओं को उनके परिवार से मिलवाया है। वहीँ ८३ बाल भिखारियों को और ४९ बाल मज़दूरों को रेस्क्यू किया गया है।

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